
Dinesh Kumar Meena's story
~Patient themselves speaking
आपका नाम?
दिनेश कुमार मीणा।
और आपको कौन सा कैंसर है?
सबसे पहले पेट में गाँठ जैसी महसूस हुई। धीरे-धीरे वह बढ़ती गई, बड़ी होती गई। फिर डॉक्टर साहब को दिखाया, तो उस समय यह नहीं पता चला कि यह कौन-सी बीमारी है। फिर वापस यहाँ आया और एक दूसरे डॉक्टर से मिला; उन्होंने एक जांच करवाई। उस जांच में पता चला कि वह गाँठ कैंसर की गाँठ है। फिर उन्होंने इलाज शुरू किया। धीरे-धीरे आराम आने लगा और पूरा इलाज भी खत्म हो गया। यह सब तीन-चार साल पहले की बात है। फिर अब कुछ समय पहले फिर से मेरे मुँह के साइड में गाँठ हो गई। तो मैंने डॉक्टर को बताया कि गाँठ फिर से हो गई है, और उन्होंने कहा कि इलाज दोबारा शुरू करो। तो अब मैं रोज़ाना दवा लेता हूँ, कीमोथेरेपी वाली।
और अब इलाज के पैसे सरकार देती है या आप खुद देते हैं?
सरकार देती है, भामाशाह कार्ड के माध्यम से।
साथ में आयुर्वेद या कोई और घरेलू इलाज भी करते हैं क्या?
नहीं, सिर्फ जो डॉक्टर ने कहा है, वही कर रहा हूँ।
जब आपको सबसे पहले कैंसर का पता चला, तो मन में कैसा लगा?
मन में थोड़ी घबराहट हुई… सोचा कि बीमारी ही ऐसी है, तो पता नहीं आगे क्या होगा। पर फिर डॉक्टर साहब ने आश्वासन दिया कि ऐसा कुछ नहीं है, आप आराम से ठीक हो जाओगे, टेंशन मत लो।
और जिन लोगों को अभी कैंसर डायग्नोज़ हुआ है, आप उन्हें कोई सलाह देना चाहेंगे?
मैं तो यही कहूँगा कि वे डॉक्टर साहब से समय पर मिलें, देरी न करें, और जैसे डॉक्टर सलाह दें, वैसा ही इलाज लें। तो धीरे-धीरे ठीक हो जाएँगे।