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मलाशय और रेक्टम (कोलन और रेक्टल) कैंसर रोगियों के लिए रेडिएशन थेरेपी के दौरान साक्ष्य-आधारित प्रबंधन

यह नोट मलाशय और रेक्टम (कोलोरेक्टल) कैंसर रोगियों के लिए रेडिएशन थेरेपी के दौरान आम दुष्प्रभावों, उनकी रोकथाम, क्या करें और क्या न करें, घरेलू उपाय, आहार परिवर्तन और पूरक, सहायक परामर्श, और ऑन्कोलॉजिस्ट द्वारा दी जाने वाली दवाओं के बारे में साक्ष्य-आधारित मार्गदर्शन प्रदान करता है।

यह जानकारी अंतरराष्ट्रीय मानकों (जैसे NCCN, ASTRO) पर आधारित है, और यह डॉ. नरेंद्र राठौड़ (एमबी हॉस्पिटल, उदयपुर) द्वारा सप्रेम प्रदान की गई है।

1. रेडिएशन थेरेपी के सामान्य प्रभाव

  • कोलोरेक्टल कैंसर के लिए रेडिएशन थेरेपी पेल्विस (श्रोणि), मूत्र मार्ग और आस-पास की त्वचा को प्रभावित कर सकती है, जिससे विभिन्न दुष्प्रभाव हो सकते हैं।

2. रोकथाम (Prevention)

निम्नलिखित सावधानियाँ दुष्प्रभावों की गंभीरता को कम कर सकती हैं:

  • साफ़-सफ़ाई: मलाशय और आसपास की त्वचा को साफ़ और सूखा रखें। गुनगुने पानी और माइल्ड साबुन (जैसे डव, सेटाफिल) का उपयोग करें।

  • त्वचा की देखभाल: प्रभावित क्षेत्र को मॉइस्चराइज़ रखें। डॉक्टर द्वारा सुझाए गए मॉइस्चराइज़र (जैसे बेपैन्थेन, एक्वाफोर) का प्रयोग करें।

  • हाइड्रेशन: रोज़ 2–3 लीटर पानी पिएं ताकि पाचन ठीक रहे और जलन कम हो।

  • पोषण सहायता: वजन गिरने से बचने के लिए डाइटिशियन की सलाह से पर्याप्त कैलोरी और प्रोटीन का सेवन करें।

  • सूर्य से बचाव: प्रभावित त्वचा को ढीले कपड़ों या डॉक्टर द्वारा सुझाए सनस्क्रीन से ढकें।

  • थकान प्रबंधन: कार्य और आराम के बीच संतुलन बनाए रखें; हल्की फिजिकल एक्टिविटी जैसे टहलना करें।

3. क्या करें और क्या न करें (Dos and Don’ts)

✔ क्या करें:

  • प्रभावित क्षेत्रों को दिन में 2–3 बार गुनगुने पानी और माइल्ड साबुन से धोएं।

  • मॉइस्चराइज़र (बेपैन्थेन, एलोवेरा आधारित) लगाएं।

  • हाइड्रेटेड रहें – 8–10 गिलास पानी, नारियल पानी या पतला जूस लें।

  • नरम और आसानी से पचने वाला भोजन लें (जैसे खिचड़ी, सूप)।

  • लक्षण जैसे पेशाब में जलन, मल में रक्त, दर्द, या बुखार हो तो डॉक्टर को तुरंत बताएं।

  • भरपूर आराम करें।

✖ क्या न करें:

  • सुगंधित साबुन, लोशन, डियोड्रेंट का प्रयोग न करें।

  • मसालेदार, तला हुआ या अम्लीय भोजन (नींबू, टमाटर) न लें।

  • धूम्रपान और शराब से बचें।

  • त्वचा को न खुजलाएं या रगड़ें।

  • लक्षणों को छुपाएं नहीं।

  • बिना डॉक्टर की सलाह के कोई दवा या घरेलू उपाय न अपनाएं।

4. घरेलू उपाय (ऑन्कोलॉजिस्ट की सलाह से)

मलाशय में जलन:

  • नारियल पानी: दिन में 1–2 गिलास।

  • जीरा पानी: 1 चम्मच जीरा उबालकर ठंडा करके धीरे पिएं।

  • धनिया पानी: धनिया के बीज उबालकर ठंडा करके पिएं।

त्वचा की जलन:

  • एलोवेरा जेल / नारियल तेल: केवल बाहरी त्वचा पर, खुली चोट पर नहीं।

  • गुलाब जल: गुनगुने पानी में मिलाकर उपयोग करें।

दर्द और सूजन:

  • हल्दी पानी: गुनगुने पानी में हल्दी डालकर पिएं (डॉक्टर की अनुमति से)।

  • ठंडी सिकाई: बर्फ को कपड़े में लपेटकर प्रभावित क्षेत्र पर रखें।

पाचन समस्याएँ:

  • पका केला: पाचन के लिए लाभकारी।

  • अदरक का पानी: उबालकर ठंडा करके धीरे पिएं।

  • इसबगोल: डॉक्टर की सलाह से लें।

⚠️ सावधानी: किसी भी घरेलू उपाय को डॉक्टर की अनुमति के बिना खुले घाव या संवेदनशील क्षेत्र पर न लगाएं।

5. आहार परिवर्तन और पोषण पूरक

अनुकूल आहार:

  • नरम भोजन: खिचड़ी, दही-चावल, लौकी/गाजर/कद्दू का सूप, मसले आलू।

  • छोटे भोजन: दिन में 5–6 छोटे भोजन।

  • ऊँच कैलोरी और प्रोटीन भोजन: मिल्कशेक, प्रोटीन शेक (जैसे KABIPRO), सूप में मेवे या गुड़।

  • हाइड्रेशन: 8–10 गिलास पानी, नारियल पानी, पतला जूस।

बचाव करें: मसालेदार, तला हुआ, अम्लीय, या भारी भोजन से बचें।

पूरक (ऑन्कोलॉजिस्ट की देखरेख में):

  • प्रोटीन पाउडर (जैसे KABIPRO)

  • ओमेगा-3 फैटी एसिड

  • मल्टीविटामिन्स और बी-कॉम्प्लेक्स

  • ग्लूटामाइन – जलन कम करने के लिए

  • प्रोबायोटिक्स – आंत के स्वास्थ्य के लिए

6. ऑन्कोलॉजिस्ट से नियमित परामर्श

  • लक्षणों की निगरानी और दवा/उपचार समायोजन के लिए फॉलो-अप ज़रूरी है।

  • अपने लक्षणों का रिकॉर्ड रखें – जैसे दर्द, मूत्र या मल में बदलाव, वजन घटने की जानकारी।

7. सामान्य उपयोग की जाने वाली दवाएं

मलाशय में जलन के लिए:

  • यूरेनल सिरप या फेनाजोपायरिडिन – पेशाब में जलन के लिए।

  • एंटीस्पास्मोडिक्स – जैसे ऑक्ट्रेओटाइड।

  • पेरासिटामोल – हल्के दर्द में।

प्रोक्टाइटिस के लिए:

  • हाइड्रोकॉर्टिसोन सपोजिटरी या एनिमा।

  • मेसालामाइन – सूजन कम करने के लिए।

त्वचा की प्रतिक्रियाएं:

  • हाइड्रोकॉर्टिसोन क्रीम (1%)

  • स्ट्रॉन्ग स्टेरॉइड क्रीम

  • मॉइस्चराइज़र – एक्वाफोर, बेपैन्थेन

पाचन समस्याएं:

  • लोपरामाइड – डायरिया में।

  • लैक्टुलोज / इसबगोल – कब्ज में।

  • ऑन्डानसेट्रॉन – मतली के लिए।

संक्रमण:

  • एंटीबायोटिक्स – जैसे नाइट्रोफ्यूरेंटॉइन, एमोक्सिसिलिन

  • एंटीफंगल – त्वचा के संक्रमण में

पोषण:

  • एंटरल न्यूट्रिशन फॉर्मूला – जैसे एंश्योर या बोन्यूट्रा, जब सामान्य भोजन संभव न हो।

⚠️ सावधानी: सभी दवाएं केवल ऑन्कोलॉजिस्ट की सलाह से लें। कुछ दवाएं कैंसर उपचार के साथ विरोधाभासी हो सकती हैं।

🌟 अतिरिक्त सुझाव

  • निरंतर संपर्क में रहें: अपने लक्षणों की जानकारी डॉक्टर, परिवार या परामर्शदाता को दें।

  • लक्षणों पर ध्यान दें: मूत्र या मल मार्ग में बदलाव, दर्द, वजन कम होने पर रिकॉर्ड रखें।

  • मानसिक स्वास्थ्य का ध्यान रखें: मेडिटेशन, गहरी साँस के व्यायाम करें; अत्यधिक थकाने वाली गतिविधियों से बचें।

📝 महत्वपूर्ण नोट

रेडिएशन थेरेपी के दुष्प्रभाव आम हैं, लेकिन सही देखभाल से इन्हें प्रभावी ढंग से प्रबंधित किया जा सकता है।
अपने ऑन्कोलॉजिस्ट से नियमित संपर्क में रहें, उनकी सलाह का पालन करें और घरेलू उपाय सावधानीपूर्वक अपनाएं।

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